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साउथ से कम नहीं राजस्थानी फिल्म इंडस्ट्री:हास्य कलाकार पन्या सैपट बोले- दुर्भाग्य कि एक दशक से बड़ी राजस्थानी फिल्म नहीं आई

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लंबे समय बाद कोई राजस्थानी फिल्म थिएटर में आ रही है

हम इसके लिए बहुत उत्साहित है, बहुत खुशी हो रही है क्योंकि ढाई साल तो हमारे कोरोना ने ही खराब कर दिए। लोग हटना भूल गए तो दिल में इच्छा थी कि राजस्थानी कॉमेडी बनाई जाए। सीडी, टीवी पर तो लोग देखते रहे हैं बड़े पर्दे पर राजस्थानी कॉमेडी फिल्म को लेकर इच्छा थी जो पूरी हो रही है। नवरात्रों में माता रानी का आशीर्वाद मिला। हाडोती से पहचान मिलना शुरू हुई और यह अच्छी बात है कि हाडोती से ही फिल्म शुरू हो रही है।

राजस्थानी फिल्मों का दौर खत्म सा हो गया है, क्या कारण मानते हैं

देखिए सभी प्रयास करते हैं अपने अपने स्तर पर अच्छा करने का। बीच में हमारी सरकारें भी सुस्त रही। सिनेमा हॉल होंगे सरकारी उत्साहित होगी प्रोत्साहन करेगी कलाकारों को, टैक्स फ्री करेंगीं, सरकार यह कहे कि ज्यादा से ज्यादा राजस्थानी फिल्म बनाये हम आपको लोकेशन फ्री दे रहे हैं। तब यहां का निर्माता निर्देशक और कलाकार स्ट्रॉन्ग होगा। एक दशक बीत गया एक दशक से कोई फिल्म नहीं आ रही और कोई आ भी रही है तो कब आ जा रही है किसी को पता नहीं। लोग मुंबई छोड़कर राजस्थान आकर काम कर रहे हैं। प्रोत्साहन मिले तो हम किसी से कम नहीं।

साउथ हो या दूसरी रीजन क्षेत्र की फिल्में बड़ा कारोबार कर रही है, राजस्थान क्यों पिछड़ रहा है

मैं यही निवेदन कर रहा हूं कि बाहर स्टेट की जो सरकारें हैं वह रीजनल फिल्मों को प्रमोट करती है ऊर्जावान है। हमारी सरकार भी अगर उस तरह से हमारी इंडस्ट्री को सहूलियत देगी। कागजों में नहीं सामने देगी तो यहां पर भी अच्छी फिल्में बनेगी। वहां के लोग Cardinal करोड़ तक लगा रहे हैं यहां बजट कम होता है। फिर भी कोशिश कर रहे हैं की अच्छी से अच्छी फिल्में बने। हमारे निर्माता-निर्देशक ने भी इस फिल्म में अच्छा बजट लगाया है और कोशिश की है कि दर्शकों को फिल्म पसंद आए।

सरकारी मदद के अलावा क्या स्टोरी, कलाकारों की कमी है

अच्छी फिल्म को एक अच्छा डायरेक्टर बनाता है। कृपया बारीकी से काम होता है रोल के लिए कलाकार उसी हिसाब से तय होते हैं। कई फिल्में इसलिए पड़ जाती है क्योंकि वहां अपनों को रोल दे दिया जाता है। लेकिन अब लोग कोशिश यही कर रहे हैं कि स्टोरी के हिसाब से कलाकार लें।

मोबाइल ऐप पर भी एक राजस्थानी फिल्म आने वाली है, क्या ऐप से यहां की इंडस्ट्री ग्रोथ करेगी

देखिए मैंने सीडी के जमाने मे अपने करियर की शुरुआत की। मेरी एक हजार से ज्यादा सीडी होंगी लेकिन मैं उनको फिल्म नहीं कह सकता। सीडी, सीडी होती है और फिल्म का मजा थिएटर में आता है। प्रोड्यूसर का करोड़ों रुपया किस में लगा होता है। मैं तो दर्शकों से यही कहना चाहूंगा कि ऐप एक अलग चीज है एक ऐसी व्यवस्था है जिसे आप सिंगल देख सकते हैं मोबाइल पर। लेकिन फिल्म हॉल में आना अपने परिवार के साथ और फिल्म का आनंद लेना वह अलग बात है। इसलिए ऐप का मजा अकेले लीजिए और परिवार के साथ सिनेमा हॉल में आइए।

सरकार से क्या अपील है

मैं तो हाथ जोड़कर यही निवेदन करूंगा कि सरकार राजस्थानी फिल्मों को प्रोत्साहित करें। हमारी फिल्म आ रही है सरकार देखें प्रोत्साहन दे ताकि दूसरे कलाकारों निर्माता निर्देशकों का कॉन्फिडेंस बढ़े, मुंबई में जाने की जरूरत ना हो और राजस्थान की फिल्म इंडस्ट्री मजबूत बन सके।